अंग दान
सोच बिंदास है आपकी
दान है यह महा दान है,
दान अंगों का करने की
सोच का दिल से सम्मान है।
मुक्ति की चाह में खाक होकर
उड़ते रहे हम धुँवा बन
सीमित रहे निज हितों तक
खुद की सेवा में खपता रहा तन।
दान अंगों का कर आपने
नव दिशा दी है इंसान को
कुछ नया कर गुजरने के पथ पर
भेजा है इंसान को।
— डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय
बहुत सुन्दर सोच और बहुत सुन्दर रचना, मानवता की सेवा में उठता एक महत्वपूर्ण कदम, रचनाकार की कृति को नमन🙏
सुंदर रचना