अंतहीन मृगतृष्णा Dimpy Aggarwal2011 4 years ago सूरज के उग्र रूप की तपिश में मैं जल गई नदी में उतरी तो भंवर में बह गई भवर ने फेंका रेत के ढेर में खड़े होकर देखा रेत ही रेत थी चारों ओर दिखाई दी तो सिर्फ मृगतृष्णा उस मरीचिका में फंस गई एक स्वर्ण हिरण को पाने के एहसास तले।