पवन मनोहर झौंका लाई
साथ में उसके खुशबू आई,
सद्कर्मों का अच्छा ही तो
फल मिलता है मेरे भाई।
अच्छी सोच रखो मन में तो
अच्छा ही होने लगता है,
बिना स्वार्थ के रब की सेवा
होती है निश्चित फलदाई।
मन में स्वार्थ रहे तो कुछ भी
करने का फायदा ही क्या है
अपना पेट सभी भरते हैं,
पशुता का कायदा ही क्या है।