अच्छा ही होने लगता है
पवन मनोहर झौंका लाई
साथ में उसके खुशबू आई,
सद्कर्मों का अच्छा ही तो
फल मिलता है मेरे भाई।
अच्छी सोच रखो मन में तो
अच्छा ही होने लगता है,
बिना स्वार्थ के रब की सेवा
होती है निश्चित फलदाई।
मन में स्वार्थ रहे तो कुछ भी
करने का फायदा ही क्या है
अपना पेट सभी भरते हैं,
पशुता का कायदा ही क्या है।
पवन मनोहर झौंका लाई
साथ में उसके खुशबू आई,
सद्कर्मों का अच्छा ही तो
फल मिलता है मेरे भाई।
__________सद्कर्मों का अच्छा फल ही मिलता है, और स्वार्थ भाव से, किए गए कार्य को लंबी सफलता प्राप्त नहीं होती है। इस उच्च
स्तरीय सोच को समाज के सामने प्रस्तुत करती हुई एक श्रेष्ठ और उच्च स्तरीय रचना, उम्दा लेखन
बहुत ही बेहतरीन रचना
Bahut uchch vichar hain waah waah
Nice