अनुभव की राहों पर चलकर खुद मैंने भी देखा है,
अपनों को अपनों से छलते खुद मैंने भी देखा है,
आसमान को धरती से मिलते खुद मैंने भी देखा है,
ख़्वाबों को यूँ पूरी रात जागते खुद मैंने भी देखा है।।
– राही (अंजाना)
अनुभव की राहों पर चलकर खुद मैंने भी देखा है,
अपनों को अपनों से छलते खुद मैंने भी देखा है,
आसमान को धरती से मिलते खुद मैंने भी देखा है,
ख़्वाबों को यूँ पूरी रात जागते खुद मैंने भी देखा है।।
– राही (अंजाना)