इस महामारी में
हजारों लोग
काल का ग्रास बन गए,
कई परिवारों के
कमाऊ लोग
चल बसे, विलीन हो गए,
झकझोर दिया है
आर्थिक स्थिति को,
बेरोजगार कर दिया है
हजारों लाखों युवाओं को,
सपने चकनाचूर
कर दिए हैं
मानवता के,
रोटी की जरूरत
पहली जरुरत है, इंसान की,
इसलिए आज की विकट परिस्थिति में,
रोटी बटोरने की नहीं
रोटी बांटने की जरुरत है,
असहाय की मदद को
खड़ा होने की जरुरत है,
तभी हम इंसान हैं,
अन्यथा पत्थर हैं
बेजान हैं,
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डॉ. सतीश पांडेय