अफ़सोस (शायरी) मोहन 4 years ago मैं किसी फटी डायरी के पन्नों सा, जो हवा में उड़ रहे है इधर- उधर, मगर अफसोस ! पढ़ने वाला कोई नहीं। ……..मोहन सिंह मानुष