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अफ़सोस (शायरी)

मैं किसी फटी डायरी के पन्नों सा,
जो हवा में उड़ रहे है इधर- उधर,
मगर अफसोस ! पढ़ने वाला कोई नहीं।

……..मोहन सिंह मानुष

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