जंगल नाचत मोर है, अंगना नाचत भोर !
मैं नाचत-नाचत थका, तब तनि हुआ अंजोर !!
मनुआ माया में फंसा, भूला अपनी राह !
गहरी खाई में गिरा, राम मिले न राह !!
साधु तपता धूप में, मल-मल आग नहाय !
सत्य नाम को ना गहे, राम कहाँ से पाय !!
जोग जतनबहु विधि किया, घर में रखा छिपाय !
न जाने कैसे घुसा, कब ले गया उड़ाय !!
शबनम गिरी आकाश से, बिखरी धरती आय !
कुछ मेरे अंगना गिरी, अंगना हुआ प्रकाश !!