‘समंदर समझ रहा था कि मौजें यूँ ही बनी,
आँसू हुए शुमार कुछ, तब जाके कहीं बनी..’
– प्रयाग
मौजें – लहरें
शुमार – गिनती में शामिल होना
‘समंदर समझ रहा था कि मौजें यूँ ही बनी,
आँसू हुए शुमार कुछ, तब जाके कहीं बनी..’
– प्रयाग
मौजें – लहरें
शुमार – गिनती में शामिल होना