आँसू Satish Chandra Pandey 4 years ago आज पुष्प सुगंध फैला जा कल मंदिर में चढ़ना है अरे तुझे इस बाग़ में अपनी छाप छोड़कर जाना है, ताकि विदाई के मौके पर अन्तस् से निकले आंसू रोक न पाए खोटी कविता धरा भिगो देवें आँसू।