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आंखें बोझिल हैं मगर

आंखें बोझिल हैं मगर, नींद गई है रूठ,
लगता है कुछ आस भी, आज गई है टूट।
वो खर्राटे मार कर, उड़ा रहे हैं नींद,
हम कोशिश करते रहे, अपनी आंखें मीच।

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