भूमिपुत्र किसान भाई, तुम जिद्द अपनी छोड़ दो
धरना प्रदर्शन की दिशा भी घर की तरफ मोड़ दो
देश पर मण्डरा रहे ख़तरे को गम्भीरता से भांप लो
तुम्हारी आड़ में मचा आतंक अब तुम पहचान लो
किसान भाई कोई शक नहीं, व्यथा तुम्हारी सच्ची है
आंदोलन तुम्हरा हाईजेक हुआ खबर ये भी पक्की है
तुम किसान भोले भाले, दुश्मन चंट और चालाक है
देश के अंदर और बाहर, हर तरफ गम्भीर हालात हैं
रंगे सियार जैसे दुश्मन अंधेरा हर ओर तलाश रहे
भटके हुए नौजवानों को, बहुरुपिया बन तराश रहे
तुम्हारे आंदोलन में अपनाबन, विश्वासघात कर रहे
आंदोलन की आड़ में द्रोही, घातक घात लगा रहे
ठहरो, सोचो, समझो ट्रेक्टर रैली का प्लान तुम्हरा था
गणतंत्र दिवस पर शक्ति प्रदर्शन का सिर्फ इरादा था
फिर लालकिले पर द्रोह, झण्डा किसने फहराया था
सुरक्षाकर्मियों को मार, तुम्हें बदनाम क्यों करवाया था
एक बात और समझो, किसान गांव, खेत में होता है
ज़मीन खोदना, बीज बोना, पानी भी चलाना होता है
कड़ी धूप, सर्द रातें उधारी, मफलूसी में घर चलाता है
फिर आंदोलन के नाम पर कौन इतना पैसा बहाता है
बंद करो अब आंदोलन खुद को मत बदनाम करो
कौन माचिस दिखा रहा, उसकी तुम पहचान करो
आज समझौता कर देश संविधान का सम्मान करो
आंदोलन से क्या खोया, क्या पाया गहनजांच करो
जय किसान, जय जवान, जय जय जय हिन्दुस्तान
राकेश सक्सेना
3 बी 14, विकास नगर, बून्दी (राजस्थान)
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