रहता है कहाँ है कहाँ घर तेरा,
नाम आंसु से परिचय हुआ क्यों तेरा,
ख़ुशी-ग़म का आँखों से रिश्ता तेरा,
हर इंसा से नाता जुड़ा क्यों तेरा,
समझ के रंग सा न किसी अंग सा,
यूँ रूप पानी के जैसा बना क्यों तेरा॥
राही (अंजाना)
रहता है कहाँ है कहाँ घर तेरा,
नाम आंसु से परिचय हुआ क्यों तेरा,
ख़ुशी-ग़म का आँखों से रिश्ता तेरा,
हर इंसा से नाता जुड़ा क्यों तेरा,
समझ के रंग सा न किसी अंग सा,
यूँ रूप पानी के जैसा बना क्यों तेरा॥
राही (अंजाना)