Site icon Saavan

आंसू

रहता है कहाँ है कहाँ घर तेरा,

नाम आंसु से परिचय हुआ क्यों तेरा,

ख़ुशी-ग़म का आँखों से रिश्ता तेरा,

हर इंसा से नाता जुड़ा क्यों तेरा,

समझ के रंग सा न किसी अंग सा,

यूँ रूप पानी के जैसा बना क्यों तेरा॥
राही (अंजाना)

Exit mobile version