आओ कवितायें करते हैं
मीठी-मीठी, प्यारी प्यारी
श्रृंगार भरी, मनुहार भरी
दिल में उगते नव प्यार भरी
आओ कवितायें करते हैं,
रूठी – रूठी, टूटी- फूटी,
योग भरी , वियोग भरी,
चाहत में भी, दुत्कार भरी
आओ कवितायें करते हैं।
वो वफ़ा करे, बेवफा बने ,
हम चाह रखें, वो डाह रखे,
दिल में आने की, जाने की
आओ कवितायें करते हैं।
संबंधों की गर्मजोशी की
ठंडी लगती सी बिछुरन की
खूब बरसते सावन की
प्यार लुटाते साजन की
आओ कवितायें करते हैं.
—— डॉ. सतीश पांडेय