Site icon Saavan

आख़िर में क्या कर पाओगे

रंजिशें कितनी भी निभा लो

दुश्मन कितने चाहो बना लो

दोस्त जितने चाहो गँवा लो

नशा है ही ऐसा दौलत का

इसे जितना चाहो बड़ा लो

होड़ जितनी चाहे ल्गा लो

सबको पीछे छोड़ दौड़ लगा लो

आख़िर में क्या कर पाओगे

कभी तो थक हार बैठ जाओगे

अकेले फिर ख़ुद में कुरलाओगे

तब सबको साथ अपने बुलाओगे

तब साथ कोई ना ढूँढ पाओगे

…… यूई

Exit mobile version