आजादी
चंद सिरफिरे ही थे
जो लेकर आये थे उसे
फिर उनसे हाथ छुड़ा
जाने कहां खिसक गई
अब सुनते हैं कि
ठहरी है
रसूखदारो के यहाँ
जो आ रही थी
मुल्क में
रास्ता भटक गई
आजादी
चंद सिरफिरे ही थे
जो लेकर आये थे उसे
फिर उनसे हाथ छुड़ा
जाने कहां खिसक गई
अब सुनते हैं कि
ठहरी है
रसूखदारो के यहाँ
जो आ रही थी
मुल्क में
रास्ता भटक गई