Site icon Saavan

आजादी

आजादी

चंद सिरफिरे ही थे
जो लेकर आये थे उसे

फिर उनसे हाथ छुड़ा
जाने कहां खिसक गई

अब सुनते हैं कि
ठहरी है
रसूखदारो के यहाँ

जो आ रही थी
मुल्क में
रास्ता भटक गई

Exit mobile version