छोंड़ दो इस बुढ़िया को
किसी वृद्धाश्रम में
यह सुनकर मुझको थोड़ा गुस्सा आया
एक दिन फिर तंग आकर पत्नी से
वृद्ध माँ को आश्रम मैं छोंड़ आया
रोया बहुत माँ से लिपटकर
माँ का दिल भी भर आया
माँ ने आँसू पोंछे अपने आंचल से
और उनको मुझ पर प्यार आया
बोली बेटा आते रहना
अपने घर का भी खयाल रखना
मत रोना मुझको याद करके
मेरे लिए बहू से मत लड़ना
मेरा क्या है
मैं कब मर जाऊं
तू रहना खुश और आते रहना
यह कहकर माँ ने कर दिया विदा…
आज उसी वृद्धाश्रम में
मैं भी आ गया रहने के लिए सदा
मेरा बेटा भी मुझे बोझ समझकर
मुझे यहां छोंड़कर हो गया दफा…