आज कुछ परेशान-सी हूँ मैं
तेरी बेरुखी से हैरान-सी हूँ मैं
जमीं पर पैर भी नहीं रुकते
तितलियों के पंख भी रचते
खाली मैदान-सा है दिल मेरा
जहाँ परिंदे भी नहीं बसते
दिल के फैसलों में थोड़ी
नादान-सी हूँ मैं
जाने क्यूं
आज कुछ परेशान-सी हूँ मैं !!
आज कुछ परेशान-सी हूँ मैं
तेरी बेरुखी से हैरान-सी हूँ मैं
जमीं पर पैर भी नहीं रुकते
तितलियों के पंख भी रचते
खाली मैदान-सा है दिल मेरा
जहाँ परिंदे भी नहीं बसते
दिल के फैसलों में थोड़ी
नादान-सी हूँ मैं
जाने क्यूं
आज कुछ परेशान-सी हूँ मैं !!