आपकी निगाहों में
इस कदर नशा देखा,
भरी हो जैसे कोई
तेज, तीखी हाला।
हम तो हाला कभी
सूँघते तक नहीं थे,
और खूबसूरती पर
लिखते नहीं थे,
मगर क्यों हुआ
देखने में नशा सा,
मन क्यों लगा
इस तरफ यूँ खिंचा सा।
चलो जाने दो,
अब न देखो इधर तुम,
नहीं झेल पायेंगे
नैन का नशा हम।