मन के इतने खूबसूरत
आप कैसे हो गए,
आपको किसने सिखाया
इस तरह से स्नेह करना।
आप मे इतनी अधिक
ममता की बातें हैं भरी,
कि आप ऐसी लग रही हो
एक मिश्री की डली।
आपको पाने से आसूदाह हो
प्रसन्न हैं हम।
इत्तिका जब आप हो तो
ऐश से जीते हैं हम।
मन के इतने खूबसूरत
आप कैसे हो गए,
आपको किसने सिखाया
इस तरह से स्नेह करना।
आप मे इतनी अधिक
ममता की बातें हैं भरी,
कि आप ऐसी लग रही हो
एक मिश्री की डली।
आपको पाने से आसूदाह हो
प्रसन्न हैं हम।
इत्तिका जब आप हो तो
ऐश से जीते हैं हम।