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आलम

मुहब्बत के नश्तर मिटाने वाले,
तुझे क्या पता है चाहत ए आलम।
तू ने कभी मुहब्बत 💘की ही नहीं,
तू क्या समझे मेरे दर्द ए आलम।।

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