कविता- आलसी तू आलसी है
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आलसी तू आलसी है
तू बेरोजगार नही है
आलस छोड़ काम कर
वरना तेरी खैर नही है,
डिग्री हैं डिप्लोमा हैं
है पास तेरे कोई हुनर,
कुछ नहीं है तो क्या कर सकता
भैंस चरा और खेती कर,
वक्त नहीं बिगड़ा है
वक्त नहीं गुजरा है,
बात मेरी मान
कुछ सीख अभी समय बहुत है,
बाल काटना सीख अभी,
वाहन चलाना सीख अभी,
वाहन बनाना सीख अभी,
कर्ज ले सरकारी तू-
पर काम शुरू कर आज अभी,
सस्ता वाला काम बताऊं,
हलवाई का काम सीख ले,
इससे अच्छा काम बताऊं,
चाय पान का धंधा कर ले,
छोड़ आलसी आलस करना,
दुनिया में तू भी नाम कमा,
सब्जी की दुकान लगा ले,
कम पूंजी में अच्छा कमा,
जितना मेहनत आज करे तू,
उतना सुख बच्चे पाएंगे,
वरना वह भी किसी की भैंस चरायेंगे
बैठ के तेरे संग बीड़ी फूंकेगें,
घर छोड़ के परदेश चला जा,
कारखानों में काम मिलेगा,
समय बिताने से अच्छा है,
परदेसी बन हर काम मिलेगा,
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✍✍ऋषि कुमार प्रभाकर