हाथ पकड़ा दो कलम
मैं लिखती जाऊं
हर लफ्ज को
तेरे हर एहसास को,
मेरी हर एक पीर को
आवाज दूं गर तुम सुनो !
मैं गायिका बन जाऊंगी
तुम्हारी इक मुस्कान पर
मैं सौ दफा वारी जाऊंगी
है सृजनशक्ति
इतनी मुझमें
लिख सकती हूँ हर
एक चीख को
तेरी बुझती आस को
मेरी ढलती उम्र को…!!