बैठे हैं आशा का दीप जलाए,
उम्मीद की लौ मन में लगाए।
व्यथा का तिमिर अड रहा,
नैराश्य का आंचल बढ़ रहा
नेत्र नीर नैनों में आए,
प्रेम की दिल में ज्योत जलाए
मन के द्वार पर,
सजा कर स्वप्नों के तोरण,
ढूंढती है आंखें अब आपको
आशा का एक दीप जलाए।।
_____✍️गीता