बैठे है अकेले राह में, दिल में कोई आश है ,
घडी की बदलती सुइयो के _सही होने का इन्तजार है ,
कुछ कदम बढाने है ,और ये सुनसान राह पार है ,
फिर करवट हम भी बद्लेगे ,क्योकि ….
राह के पार खुशहाल संसार है ,
किसी के हाथो में हाथ है ,
तो कही भरा पूरा परिवार है !
– सचिन सनसनवाल