इंतज़ार Anu Somayajula 4 years ago इंतज़ार झिलमिलाता रहा रातभर आंखों में! तुम नहीं तुम्हारा पैग़ाम आया ‘आज न सही, कल की बात रही’। चलो मान लेते हैं; एक और झूठ तुम्हारे नाम पर जी लेते हैं