यदि किसी भूखे को हम
दो कौर रोटी दे सकें तो
तब कहीं सचमुच में हम
इंसान कहने योग्य हैं।
दर्द के आँसू किसी के
पोंछ पायें, रोक पायें
तब कहीं सचमुच में हम
इंसान कहने योग्य हैं।
यदि किसी निर्धन का
बालक हो पढ़ाई में भला,
हम उसे सहयोग दें
इंसान कहने योग्य हैं।
मुंह चुराने की जगह
खोजें जरूरतमन्द को
हों मदद देने खड़े,
इंसान कहने योग्य हैं,
अन्यथा पशु और हम में
एक भी अंतर नहीं है,
सच नहीं वह बात हम
इंसान कहने योग्य हैं।