इक ज़माना था जब डरता था मैं।

इक ज़माना था जब डरता था मैं।
जब तेरी गलियों से गुजरता था मैं।।
,
तुम बेख़बर थे तुमको क्या मालूम।
की कैसे ही पल भर में मरता था मैं।।
,
हालात बदल गए है मानता हूँ मैं भी।
पर बेवज़ह उन राहों पे ठहरता था मैं।।
,
ख़ुद की नाकामियों का सिला किसे दूँ।
यकीं किया तुझपे ये क्या करता था मैं।।
,
तुम्हारी आँखों में साफ़ था मंजर सारा।
इक सच होकर भी झूठ से डरता था मैं।।
@@@@RK@@@@

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