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इश्क के दो पन्ने

इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी
तुम्हारी याद में रात भर मैं भी जागूंगी।
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प्रीत की चादर ओढ़ कर
अंबर के तले,
तेरे सपने मैं भी बुनूँगी
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।
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कल्पना के दरिया में तैर कर
रेत का चंदन बदन पर,
मैं भी मलूंगी
इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।
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तुम से हार जाऊंगी
उसी को जीत मानूंगी,
तुम्हारी जीत में ही
मैं खुद को विजयी बनाऊंगी
इस तरह इश्क के दो पन्ने मैं भी लिखूंगी।

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