इश्तेहार सी ज़िंदगी राही अंजाना 6 years ago इश्तेहार सी हो गयी है ज़िंदगी मेरी जैसी दिखती है, होती नहीं कभी, सभी के हाथों में सुबह सवेरे पहुंच जाती है, मगर नज़रों में किसी के होती नहीं कभी, हर रोज पढ़े जाते है पन्ने इसके इस जहाँ में, मगर सुलह किसी से होती नहीं कभी॥ राही (अंजाना)