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इश्क़

इश्क़ यदि है हक़ीकत तो मैं सारी उम्र जागूँगा।

मगर यदि इश्क़ सपना है तो मुझको सोया रहने दो।

ज़माना इश्क़ को आशिक़ को अक्सर ग़लत कहता है।

ज़माने की किसे परवा, कहे जो उसको कहने दो।

घटाओं सा हवाओं सा इश्क़ उड़ता है बहता है।

इश्क़ फूलों की खुशबू सा फ़िज़ा में इसको बहने दो।

फ़साना आशिक़ी का है ये दिलवाले ही समझेंगे।

दीवानों को समझने दो दीवानों को ये कहने दो।

इश्क़ यदि है…!

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–शिवकेश द्विवेदी

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