ईश्वर का खेल निराला है Satish Chandra Pandey 4 years ago ईश्वर का खेल निराला है सब कुछ अपने प्रारब्ध और कर्म से ही मिलता है जैसे तुझे ताली मुझे गाली। सृजनहार ही सब सृजन करता है हमने तो बस गलतफहमी पाली, वही सींचता है लेखनी को वही तो है जिंदगी का माली। लेकिन कर्म भी तो अपने-अपने हिसाब का है आली।