उठा अपनी आँँधियों को Prayag Dharmani 4 years ago उठा अपनी आँधियों को, बढ़ा हवाओं का असर, साथ मेरे चल पड़ा है कितनी दुआओं का असर.. अब कभी गिरते नही टूटकर पत्ते शाखों से, मेरे गुलशन पे छाया हुआ है उसकी फ़िज़ाओं का असर.. होने नही देता कभी ये बेफिक्र मुझे, मुझसे ही उलझ पड़ता है मेरी वफाओं का असर..