उठा अपनी आँँधियों को
उठा अपनी आँधियों को, बढ़ा हवाओं का असर,
साथ मेरे चल पड़ा है कितनी दुआओं का असर..
अब कभी गिरते नही टूटकर पत्ते शाखों से,
मेरे गुलशन पे छाया हुआ है उसकी फ़िज़ाओं का असर..
होने नही देता कभी ये बेफिक्र मुझे,
मुझसे ही उलझ पड़ता है मेरी वफाओं का असर..
बहुत खूब
Thank You
J lGood
धन्यवाद जी
बेहतरीन
शुक्रिया
बहुत ख़ूब
धन्यवाद
बहुत खूब
शुक्रिया जी