पत्थर हूँ मैं
जिस पर घिस कर
चन्दन माथे पर
लगाने लायक होता है,
शीतलता देता है,
खुशबू बिखेरता है।
थोड़ा सा मैं भी घिसता हूँ
चन्दन के साथ,
लेकिन आपको अहसास तक
नहीं होने देता हूँ कि
मैं भी चन्दन के साथ
माथे पर लगा हूँ,
चन्दन जितना आपका
अपना है मैं भी
उतना ही सगा हूँ।
हाँ पत्थर हूँ,
रास्ते का कंकड़ नहीं
पत्थर हूँ
लेकिन संभाले रखना
क्या पता
नींव के काम आ जाऊँ।