उमंग ऐसी जगाओ स्वयं के जीवन में,
फटक न पाए निराशा कभी भी जीवन में।
रखी नहीं रहती सजा के थाल में खुशियां,
वरन स्वयं की मेहनत से,
जीतनी आज हैं तुम्हें खुशियां।
उमंग रोशनी है, उसे न मंद रखना,
हौसले कम न हों बुलंद रखना।
फूल से बन सको, न बन पाओ,
मगर तहजीब में सुगंध रखना।
कष्ट को तेल की कढ़ाई सा
स्वयं को मानकर जलेबी सा
पहले तपना उबलना भीतर तक
खांड में जा मिठास पी लेना।
खुद के अनुकूल कर परिस्थिति को
कष्ट के बाद सुख से जी लेना।
उमंग बढ़ती रहे बढ़ती रहे
उमंग पर उमंग पा लेना।