ऊँचाईयों के दौर में
हर कोई ऊँचा उठना चाहे।
विनयचंद इस दौर में
आखिर पीछे रहते हो काहे।।
कर्म करो ऊँचाई पाओ
औरों को नाहीं गिराना तुम।
जो गिरे हुए को उठाओगे
कीर्ति यश वैभव पाना तुम।।
सबको साथ लेकर चलना
प्रस्थ करेगी कामयाबी की राहे।
ऊँचाईयों के दौर में
हर कोई ऊँचा उठना चाहे।।