Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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वाह क्या बात कही है आपने।
बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद पाण्डेयजी
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति शास्त्री जी
कर्म करो ऊंचाई पाओ,
औरों को नहीं गिराना तुम
बेहतरीन रचना है आपकी सर
बहुत कुछ कह गए आप अपनी कविता में। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है।
बहुत बहुत धन्यवाद बन्धश्रेष्ठ
आप ऊँचाई के उस मुकाम पर हैं
जिसके बारे में कोई सोंच भी नहीं सकता
बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति