“एक तरफा मोहब्बत” Pragya 3 years ago तुम्हारे सुधर जाने की गुंजाइश ही नहीं थी तो आखिर हम कोशिश कब तक करते ! रफ्ता-ऱफ्ता तुम पास आते गये हम भला दूर कैसे रहते ! रोंका तुम्हें, समझाया तुम्हें और भला हम क्या करते… जब तुम्हें हमसे मोहब्बत ही नहीं थी आखिर हम तुम्हें अपना कब तक समझते…