आज कल परसों
कभी तो पायेंगे
कुछ नई आशा की
किरणें दोस्तों।
कब तलक भय
का रहेगा राज यह
कब तलक फैली रहेगी वेदना।
कब तलक होगा
रुदन चारों तरफ
कब तलक साँसों के
संकट से घिरी,
इस तरह बिखरी रहेगी वेदना।
एक दिन निकलेगा
सूरज वैद्य बन,
एक दिन हर देगा सारी वेदना,
तब तलक साँसें
बचाना यत्न कर,
एक दिन सब ठीक होगा देखना।