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एक बेटी

एक घर में जन्म लिया तो
दूजे घर में ब्याही गई
एक घर मे पाली बड़ी हुई
दूजे घर की रानी बनी
एक घर में खेली कूदी तो
दूजे घर की रखवाली बनी
एक घर में शरारती रही तो
दूजे घर मे सयानी बनी
एक घर में पढ़ लिख पाई तो
दूजे घर में कमाई में लगी
एक घर में संस्कारी बनी तो
दूजे घर संस्कार देने में लगी
एक घर सब कुछ सीखा तो
दूजे घर जिम्मेदारी में लगी
एक घर में बचपन छोड़ा तो
दूसरे घर में ताउम्र रही
लेकिन वो एक नन्ही सी कली
दोनों घर का मान रही।।

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