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एक मां की अरदास

इक अरदास करूं तुमसे प्रभू !
मैं रो लूंगी भाग्य को अपने,
हर दुःख को चुप्पी से सह लुंगी।
बना देना मुझे निर्भया की मां,
दिल को अपने समझा लुंगी।
मगर न बनाना मुझे,
बलात्कारी की जननी,
मैं खुद को आग लगा लुंगी।

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