एक मां की अरदास प्रतिमा चौधरी 4 years ago इक अरदास करूं तुमसे प्रभू ! मैं रो लूंगी भाग्य को अपने, हर दुःख को चुप्पी से सह लुंगी। बना देना मुझे निर्भया की मां, दिल को अपने समझा लुंगी। मगर न बनाना मुझे, बलात्कारी की जननी, मैं खुद को आग लगा लुंगी।