ए ज़िन्दगी
कैसे शिकायत करूँ तुझसे
खुदा की बंदगी पाई तुझसे
बस तुझमें सिमटा रह्ता हूँ
हर पल तेरे ही संग रहता हूँ
कभी टेडी मेडी लकीरों में
कभी रंग भर उन्ही लकीरों में
कभी अल्फाज़ बन तकरीरो में
कभी जज़्बात बन फकीरों में
बस तुझमें सिमटा रह्ता हूँ
हर पल तेरे ही संग रहता हूँ
कभी अकेले में, कभी मेले में
मैं तुझसे मिलता रहता हूँ
तेरा हर रंग आंखों में बसाया मैंने
उनको आँखों से दिल में उतारा मैंने
उन रंगो में अपना खून मिलाया मैंने
ऐसे ख़ुदी को तेरे रंग में रंगाया मैंने
तेरी खूबसूरती में ख़ुद को भिगोया मैंने
तेरी मस्तियों में कूद ख़ुद को तेराया मैंने
तेरी गहराईयों में उतर इश्क़ रचाया मैंने
अपनी रूह को तेरे इश्क़ में नहलाया मैंने
तेरे पलों को ज़ज़्बातो से सँजोया मैंने
उन ज़ज़्बातो को दिल से पिरोया मैंने
तेरी आग में तप ख़ुद को बनाया मैंने
बना ख़ुद को तुझे माथे पे सजाया मैंने
बड़ी शिद्दत से यह इश्क रचाया मैंने
सूख दुःख में एक सा साथ निभाया मैंने
जब अपने मन को समुंदर बनाया मैंने
तब तेरी कहानी को मुकमल बनाया मैंने
यूई तो कभसे तुझमें सिमटा बैठा है
वो तन मन तेरे रंग में रंगा बैठा है
अब तुम भी युई में सिमटी रहती हो
हर पल उसके ही रंग में रँगती हो
…… यूई