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ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो

जिनके तेज के आगे, चाँद की चमक फीकी हो
ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो ।
बिन गोली- बारूद के चला था फ़िरंगी से उलझनें
सोचा भी नहीं था कभी, चला है वो महात्मा बनने
हिंसा में वो बल है कहाँ, जीते जो मन को
जिसकी एक पुकार पर लगे जन सैलाब उमङने
कहाँ ऐसा योगी, ऐसी उपमा दिखती हो
ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो ।
राम राज्य की कल्पना की थी जिसने
वर्धा शिक्षा योजना की शुरुआत की उसने
करके सीखो तो कुछ अर्जन भी कर पाओगे
पढते हुए धनोर्पाजन से, गरीबी से पार पाओगे
कहाँ ऐसा कर्मयोगी, ऐसी उपमा दिखती हो
ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो ।
सत्य के पुजारी कहें या कहें अहिंसा के पोषक
धूल चटाई उनको थे जो दुनिया में हिंसा के पोषक
हरिजन के हिमायती, सत्यप्रयोग, हिन्दस्वराज रचना थी
मोहन से महात्मा बनने की जिनमें अद्भुत क्षमता थी
कहाँ ऐसा व्रतधारी, ऐसी उपमा दिखती हो
ऐसा कौन है जिसने, अहिंसा से लङाई जीती हो ।।

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