रंगने नहीं आया
सांवरिया मुझको ए सखी !
मैं बैठी हूं पलके बिछा कर
आया ना सखि साजन मोरा!
सब खेले गुलाल पिचकारी
मैं बैठी हूं कोरी- कोरी
जिसके रंग में रंगना चाहूँ
वह ना आया हो गई दोपहरी
रंग दे मुझको अपने रंग में
जैसे चाहे वैसे रंग लगाए
आया ना सखि! साजन मोरा
मैं बैठी हूं पलके बिछाए।।