ममता की मूरत है तू
निज प्राणों की सूरत है तू
हे ममता की मूरत !
लक्ष्मी की सूरत है तू
तूने हमको जन्म दिया
खाने को मीठा भोग दिया
महीने रखकर पेट में तूने
अपने रक्त से यह जीवन सिंचित किया
तेरी पूजा इश्वर से पहले
क्यों न हो ? आखिर क्यों न हो ?
तू ही है मेरी प्राणदायनी
तू ही तो गंगाजल है
ओ माँ ! तेरे चरणों में
इस प्रज्ञा’ का नत मस्तक है।।