जापानी विधा:- हाईकु कविता
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ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
लिख अब दीन हीनों का दर्द तू
बढ़ चल कर्म पथ पर…
रह अडिग और बन सबल
भेद सारे खोल दे मन के तू
भाव सारे बोल दे अब…
पथिक को रस्ता दिखा कर
युवा को दिला कर जोश – उत्साह भर
सच सदा तू लिखती रहे…
ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
निश दिन तू तप कर भाव में
निखरती रहे यह दुआ है…