बात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
रात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
हीर और राँझा अब भी है देश में लेकिन
जात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
ओमप्रकाश चंदेल “अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़
बात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
रात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
हीर और राँझा अब भी है देश में लेकिन
जात गर खत्म हो जाती तो और बात थी।
ओमप्रकाश चंदेल “अवसर”
पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़